- Mahakal Temple: अवैध वसूली के मामले में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, एक आरोपी निकला HIV पीड़ित; सालों से मंदिर में कर रहा था काम ...
- महाकाल मंदिर में बड़ा बदलाव! भस्म आरती में शामिल होना अब हुआ आसान, एक दिन पहले मिलेगा भस्म आरती का फॉर्म ...
- भस्म आरती: मंदिर के पट खोलते ही गूंज उठी 'जय श्री महाकाल' की गूंज, बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार कर भस्म अर्पित की गई!
- भस्म आरती: मकर संक्रांति पर बाबा महाकाल का किया गया दिव्य श्रृंगार, तिल्ली के लड्डू से सजा महाकाल का भोग !
- मुख्यमंत्री मोहन यादव का उज्जैन दौरा,कपिला गौ-शाला में गौ-माता मंदिर सेवा स्थल का किया भूमि-पूजन; केंद्रीय जलशक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल भी थे मौजूद
देवउठनी ग्यारस आज: CM डॉ. मोहन यादव तुलसी-शालिग्राम के विवाह कार्यक्रम में हुए शामिल, प्रदेशवासियों को दी शुभकामनाएँ
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
हिंदू धर्म में हर तिथि का एक विशेष महत्व होता है, जो किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होती है। इसी तरह, हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है। ये तिथि विष्णु जी और मां लक्ष्मी को खुश करने के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं। इस साल, पंचांग के अनुसार, 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं। इस दिन देवउठनी एकादशी का त्योहार मनाया जाता है। देवउठनी ग्यारस के दिन विशेष मंत्रों का जाप कर भगवान विष्णु और माता तुलसी की आराधना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
इस दिन से सभी शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। लोग इस खास दिन पर व्रत रखते हैं और विधिपूर्वक भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इसके साथ ही, विशेष चीजों का दान भी किया जाता है। कहा जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्त होता है और शुभ फल प्राप्त करता है।
वहीं, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेशवासियों को देवउठनी ग्यारस की शुभकामनाएँ दी हैं। इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा के निवास में तुलसी-शालिग्राम के विवाह कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। इस दौरान उन्होंने श्री हरि और मां तुलसी से प्रार्थना की कि प्रदेशवासियों का जीवन सुख, समृद्धि और खुशहाली से भरा रहे। डॉ. यादव ने माता तुलसी की पूजा करते हुए मंत्रों का जाप किया और धूप, सिंदूर, चंदन, और फूल अर्पित कर नैवैद्य का भोग चढ़ाया।